नरवाई जलाने पर प्रतिबंध उल्लंघन पर दण्डात्मक कार्यवाही

Jansampark Khabar
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इक़बाल खत्री 


नरवाई जलाने से मिट्टी के अमूल्य पदार्थ नष्ट होने के साथ मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म होती है

          खरगोन ।  बड़वाह के किसान खेतों में फसल अवशेषों (नरवाई) नहीं जलाए, बल्कि उसे खेत में ही मिट्टी पलटने वाले हल से या रोटावेटर से मिलाएं। जिससे खेत की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि होगी। फसल कटाई के बाद बचे फसल अवशेषों में आग लगाने से पर्यावरण गंभीर रूप से प्रभावित होता है। फसल अवशेषों को जलाने से भूमि में होने वाली रासायनिक क्रियाए भी प्रभावित होती हैं, जैसे कार्बन व नाइट्रोजन एवं कार्बन और फास्फोरस का अनुपात बिगड़ जाता है, जिससे पौधों को पोषक तत्व ग्रहण करने में कठिनाई होती है। शासन के निर्देशानुसार फसल अवशेषों को जलाने पर दो एकड़ से कम पर 2500 रुपए, दो एकड़ से अधिक व 5 एकड़ से कम पर 5 हजार रुपए तथा 5 एकड़ से अधिक पर 15 हजार रुपए की दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। यह बात जिला उप संचालक कृषि एस.एस राजपूत ने 19 अप्रैल को बड़वाह जनपद पंचायत सभागृह कक्ष में प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक में कही।


किसानों के खेतों में सेटेलाइट मैपिंग के माध्यम से की जा रही निगरानी 

         वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी बी.एस. सेंगर ने बताया कि सेटेलाइट के माध्यम से ब्लॉक स्तर पर नरवाई जलाने वाले किसानों के खेतों में सेटेलाइट मैपिंग के माध्यम से निगरानी की जा रही है, यानी आसमान से नजर रखी जा रही है, टेक्नोलॉजी के दौर में लोग हार्वेस्टर से अपनी फसलों की कटाई करा लेते हैं उसके बाद बची हुई नरवाई में आग लगाकर उसे नष्ट करते हैं जो कि बेहद हानिकारक होती है। सेंगर ने बताया कि खेत की आग अनियंत्रित होने पर जन, सम्पत्ती व प्राकृतिक वनस्पती, जीव-जन्तु आदि नष्ट हो जाते है। जिससे व्यापक पारिस्थितिक नुकसान होता है एवं खेत की मिट्टी में प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले लाभकारी सुक्ष्म जीवाणु नष्ट हो जाते है। जिससे खेत की उर्वरा शक्ति शनैः शनैः घटती है। और उत्पादन भी प्रभावित होता है। खेत में पडे कचरा, भुसा, डंठल सडने के बाद भूमि को प्राकृतिक रूप से उपजाउ बनाते है। इन्हे जलाकर नष्ट करना प्राकृतिक खाद्य को नष्ट करना है। 


नरवाई ना जलाने के संबंध में ग्रामों में अधिक से अधिक दल के द्वारा प्रचार प्रसार करे 

          एसडीएम सत्यनारायण दर्रा ने बैठक में उपस्थित अमले को निर्देश दिये की नरवाई ना जलाने के संबंध में ग्रामों में अधिक से अधिक दल के द्वारा प्रचार प्रसार करे। प्रचार प्रसार के लिये लिटरेचर, ग्राम के चौकीदार द्वारा डोंडी पिटवाना, किसान संगोष्ठियों का आयोजन कराना इन सभी गतिविधियों के फोटो, विडीयों, वरिष्ठ अधिकारियों को भेजना सुनिश्चित करे। ग्रामों मे सतत निगरानी करे एवं आगामी बुआई तक मैदानी अमले का किसी भी प्रकार का अवकाष मान्य नही होगा। नरवाई जलाने की जानकारी प्राप्त होने पर दल के द्वारा 24 घण्टे के अन्दर मय वीडियो, फोटो सहित पंचनामा बनाकर वरिष्ठ अधिकारी को प्रेषित करे। 


        इस अवसर पर तहसीलदार  शिवराम कनासे, सनावद तहसीलदार मुकेश मचार, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी बी.एस. सेंगर नायब तहसीलदार, समस्त, कृषि विस्तार अधिकारी, समस्त पटवारी, बी.टी.एम एवं ए.टी.एम. उपस्थित रहे।


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