भारत द्वारा जाहिर की गई प्रतिबद्धता के तहत 100 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन घटाने के मायने हैं कि हम करीब 22 प्रतिशत उत्सर्जन कम कर लेंगे। यह लक्ष्य हासिल करने का अर्थ है कि भारतवासी 2030 तक औद्योगिकीकरण कर चुके सभी देशों के नागरिकों के औसत से कम कार्बन उत्सर्जन कर रहे होंगे। सेंटर फॉर साइंस (सीएसई) के अनुसार भारत के लक्ष्य महत्वाकांक्षी हैं, चुनौतियों से भरे भी।
सेंटर की संस्थापक सुनीता नारायण कहती हैं कि पहले ही भारत के सामने अपने लाखों गरीब नागरिकों की ज़रूरतें पूरी करने की चुनौती है, हमें इस प्रकार की प्रतिबद्धता देने की जरूरत नहीं थी। विकसित देशों को इस बारे ज्यादा योगदान देना चाहिए। दूसरी ओर हमें 2070 तक कार्बन में नेट जीरो उत्सर्जन हासिल करने के लिए अपने ऊर्जा क्षेत्र को भी बड़े बदलाव से गुजारना होगा।